एक स्त्री क्या चाहती है?

स्त्री महान नहीं बनना चाहती है

वह बस प्यार चाहती इसलिए नहीं कि उसे मिल नहीं रहा

वह केवल एक साथ चाहती है

मिलने को तो उसके पास पूरा जहां है पर वह तेरे साथ चलना चाहती है

स्त्री सहारा चाहती है

इसलिए नहीं की

वो चल नहीं सकती

चलने कि सोचे तो पीटी उषा भी बन जाती है।

 

स्त्री उपहार चाहती है

इसलिए नही की

वो कमाकर खरीद नहीं सकती

अगर वो ठान ले तो संसार जीत सकती हैं।

स्त्रीअपने कामों में मदद चाहती है

इसलिए नही की

वो उन्हें करने की क्षमता नहीं है

अगर वो ठान ले तो दुर्गा, भवानी, लक्ष्मी बन जाती है।

स्त्री तुमसे अपने लिए प्रेम चाहती है

एक उम्मीद एक अहसास चाहती है

इसीलिए नहीं की

प्रेम से देखने वाली आँखो की कमी है

बल्कि इसलिए क्योंकि वो तुमसे प्यार करती है

और प्यार तो प्यार बस बे परवाह इंतहा चाहता है

उसकी धड़कन में अपनी धड़कन चाहती है ❤️

स्वरचित

डॉ प्रियंका शर्मा (कृष्णवी)

ग्वालियर