इन फूलों की तरह है अपनी जिंदगी…. कभी अपनों की राहों में बिछना है,कभी पूजा में मंदिर पर चढ़ना है : नम्रता

इन फूलों की तरह है अपनी जिंदगी

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कभी अपनों की राहों में बिछना है

कभी पूजा में मंदिर पर चढ़ना है

कभी माला बन कर सजना है

और फिर टूट कर बिखरना है

सब समेटेंगे जरूर बिखरने पर

मगर फेक आयेंगे कहीं दूर बस

इन फूलों की तरह है अपनी जिंदगी

कुछ अनकही बातें (नम्रता)